हमारा सूर्य आकाशगंगा के 100 अरब से अधिक तारो मे से एक सामान्य मुख्य क्रम का G2 श्रेणी का साधारण तारा है।
व्यास : 1390000 किमी .
द्र्व्यमान : 1.989e30 किलो
तापमान : 5800 डीग्री केल्वीन (सतह)
15600000 डीग्री केल्वीन(केण्द्र)
सूर्य सौर मंडल मे सबसे बड़ा पिण्ड है। सौर मंडल के द्रव्यमान का कुल 99.8% द्रव्यमान सूर्य का है। बाकि बचे मे अधिकतर में बृहस्पति का द्रव्यमान है।
यह अक्सर कहा जाता है कि सूर्य एक “साधारण” तारा है। यह इस तरह से सच है कि सूर्य के जैसे लाखों तारे है। लेकिन सूर्य से बड़े तारो की तुलना मे छोटे तारे ज्यादा है। सूर्य द्रव्यमान से शीर्ष 10% तारो मे है । हमारी आकाशगंगा में सितारों का औसत द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के आधे से भी कम है।
सूर्य पौराणिक कथाओं में एक मुख्य देवता रहा है, वेदो मे कई मंत्र सूर्य के लिये है, यूनानियों ने इसे हेलियोस(Helios) कहा है और रोमनो ने सोल(Sol)।
वर्तमान में सूर्य के द्रव्यमान का 70% हाइड्रोजन 28% हीलियम और 2% अन्य धातु/तत्व है। यह अनुपात धीमे धीमे बदलता है क्योंकि सूर्य हायड्रोजन को जलाकर हिलियम बनाता है।
सूर्य की बाहरी परते भिन्न भिन्न घुर्णन गति दर्शाती है: भूमध्य रेखा पर सतह हर 25.4 दिनों मे एक बार घूमती है ,ध्रुवो के पास यह 36 दिन है। यह अजीब व्यवहार इस तथ्य के कारण है कि सूर्य पृथ्वी के जैसे ठोस नहीं है। इसी तरह का प्रभाव गैस ग्रहों में देखा जाता है। सूर्य का केन्द्र एक ठोस पिण्ड के जैसे घुर्णन करता है।
सूर्य का केन्द्र(कुल अंतः त्रिज्या का 25%) अपने चरम तापमान पर है; यहां तापमान 15600000 डीग्री केल्विन है और दबाव 250 बिलियन वायुमंडलीय दबाव है। सूर्य के केंद्र पर घनत्व पानी के घनत्व से 150 गुना से अधिक है।
सूर्य की शक्ति (386 अरब डॉलर मेगावाट/सेकंड) नाभिकीय संलयन द्वारा निर्मित है। हर सेकंड 700,000,000 टन की हाइड्रोजन 695000000 टन मे परिवर्तित हो जाती है शेष 5,000,000 टन गामा किरणो के रूप मे उर्जा मे परिवर्तित हो जाती है। यह उर्जा जैसे जैसे केंद्र से सतह की तरह बढती है विभिन्न परतो द्वारा अवशोषित हो कर कम तापमान पर उत्सर्जित होती है। सतह पर यह मुख्य रूप मे प्रकाश किरणो के रूप मे उत्सर्जित होती है। इस तरह से केंद्र में निर्मित कुल उर्जा का 20% भाग ही उत्सर्जित होता है।
सूर्य की सतह, जिसे फोटोस्फियर कहा जाता है का तापमान 5800 डेग्री केल्वीन है। सूर्य पर कुछ सूर्य धब्बो के क्षेत्र होते है जिनका तापमान अन्य क्षेत्रो से कुछ कम लगभग 3800 डीग्री केल्वीन होता है। सूर्य धब्बे काफी बड़े हो सकते है, इनका व्यास 5000किमी हो सकता है। सूर्य धब्बे सूर्य के चुंबकिय क्षेत्रो मे परिवर्तन से बनते है।
फोटोस्फीयर से उपर का क्षेत्र क्रोमोस्फियर कहलाता है। क्रोमोस्फीयर के उपर का क्षेत्र जिसे कोरोना कहते है अंतरिक्ष मे लाखों किमी तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र का तापमान 1,000,000 डीग्री केल्वीन तक होता है। यह क्षेत्र केवल सूर्य ग्रहण के समय दिखायी देता है।
पृथ्वी से चंद्रमा और सूर्य एक ही आकार के दिखाई देते है।
चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा उसी प्रतल मे करता है जिस प्रतल मे पृथ्वी सूर्य परिक्रमा करती है। इस कारण कभी कभी चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य आ जाता है और सूर्य ग्रहण होता है। यह सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी का एक रेखा मे आना यदि पूर्णतः ना हो तो चन्द्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ही ढक पाता है हैं, इसे आंशिक चन्द्रग्रहण कहते है। तिनो खगोलिय पिण्डो के एक रेखा मे होने पर चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है जिससे पूर्ण सूर्यग्रहण होता है। आंशिक सूर्यग्रहण एक बृहद क्षेत्र मे दिखायी देता है लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण एक बेहद संकरी पट्टी(कुछ किमी) मे दिखायी देता है। हांलांकि यह पट्टी हजारो किमी लम्बी हो सकती है। सूर्यग्रहण साल मे एक या दो बार होता है। पूर्ण सूर्यग्रहण देखना एक अद्भूत अनुभव है जब आप चन्द्रमा की छाया मे खड़े होते है और सूर्य कोरोना देख सकते है। पक्षी इसे रात का समय सोचकर सोने की तैयारी करते है।
सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र बहुत मजबूत है (स्थलीय मानकों के द्वारा) और बहुत जटिल है। इसका हेलीयोस्फियर भी कहते है जो प्लूटो के परे तक फैला हुआ है।
सूर्य, गर्मी और प्रकाश के अलावा इलेक्ट्रान और प्रोटॉन की एक धारा जिसे सौर वायू कहते है का भी उत्सर्जन करता है जो 450किमी/सेकंड की रफ्तार से बहती है। सौर वायु और सौर ज्वाला के द्वारा अधिक उर्जा के कणो का प्र्वाह होता है जिससे पृथ्वी पर बिजली की लाईनो के अलावा संचार उपग्रह और संचार माध्यमो पर प्रभाव पडता है। इसी से ध्रुविय क्षेत्रो मे सुंदर अरोरा बनते है।
अंतरिक्ष यान युलीसीस से प्राप्त आंकड़ो से पता चलता है जब सौर गतिविधी अपने निम्न पर होती है ध्रुवीय क्षेत्रों से प्रवाहित सौर वायू दूगनी गति 750किमी/सेकंड से बहती है जो कि उच्च अक्षांशो मे कम होती है। ध्रुवीय क्षेत्रों से प्रवाहित सौर वायू की संरचना भी अलग होती है । सौर गतिविधी के चरम पर यह यह अपने मध्यम गति पर बहती है।
सूर्य का निरंतर उर्जा उत्पादन सतत एक मात्रा मे नही होता है, ना ही सूर्य धब्बो की गतिविधियाँ। 17वी शताब्दी के उत्तारार्ध मे सूर्य धब्बे अपने न्युनतम पर थे। इसी समय मे यूरोप मे ठंड अप्रत्याशित रूप से बढ गयी थी। सौर मंडल के जन्म के बाद से सूर्य उर्जा का उत्पादन 40% बढ़ गया है।
मृत्यु
सूर्य 4.5 अरब वर्ष पूराना है , उसने अपने पास की कुल हायड़्रोजन का आधा हिस्सा प्रयोग कर लिया है लेकिन इसके पास अगले 5 अरब वर्षो के लिये पर्याप्त इंधन है। उस समय उसकी चमक लगभग दूगनी हो जायेगी। लेकिन अतत: उसकी हायडोजन खत्म हो जायेगी और वह एक लाल महादानव मे बदल जायेगा। उस समय सूर्य मंगल की कक्षा तक फूल जायेगा। पृथ्वी नष्ट हो जायेगी। शायद सूर्य की मौत एक ग्रहीय निहारिका के रूप मे होगी।
सूर्य के ग्रह
सूर्य के आठ ग्रह हैं और बड़ी संख्या में छोटे पिंड सूर्य की परिक्रमा कर रहे है।
ग्रह | दूरीकिमी | त्रिज्याकिमी | द्रव्यमानकिग्रा | आविष्कारक | दिनांक |
बुध | 2439 | 3.30e23 | 57910 | ||
शुक्र | 6052 | 4.87e24 | 108200 | ||
पृथ्वी | 6378 | 5.98e24 | 149600 | ||
मंगल ग्रह | 3397 | 6.42e23 | 227940 | ||
बृहस्पति | 71492 | 778330 | 1.90e27 | ||
शनि | 60268 | 5.69e26 | 1426940 | ||
यूरेनस | 2870990 | 8.69e25 | 25559 | हर्शेल | 1781 |
नेप्च्यून | 4497070 | 24764 | 1.02e26 | गाले | 1846 |
प्लूटो | 5913520 | 1.31e22 | 1160 | टामबाग | 1930 |
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