शनि सूर्य से छंठा ग्रह है और बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह है।
कक्षा : 1,429,400,00 किमी (9.54 AU) सूर्य से
व्यास: 120,536किमी (विषुवत वृत्त पर)
द्रव्यमान: 5.68e26 किग्रा
रोमन मिथको के अनुसार शनि कृषि का देवता है। शनि से जुड़ा ग्रीक देवता क्रोनस युरेनस तथा गैया का बेटा तथा जीयस का पिता है। शनि से शनिवार बना है। बेबीलोन के देवता नीनुरता तथा हिन्दू देवता शनि भी शनि ग्रह से जुड़े है।
शनि प्रागऐतिहासिक काल से ज्ञात ग्रह है। गैलीलीयो ने इसे दूरबीन से पहली बार 1610 मे देखा था। उन्होने शनि के विचित्र आकार को देखा था और मजाक मे कहा था कि शायद शनि के दो कान भी है। बाद मे यह पता चला था कि शनि का यह विचित्र आकार उसके वलयो के कारण है।
शनि के शुरुवाती निरिक्षण उस समय जटिल हो गये थे जब शनि के चित्र उसके आकार को भिन्न समय पर अलग अलत तरह से दिखाते थे। यह इस कारण होता था कि कुछ वर्षो के अंतराल मे पृथ्वी शनि के वलय के प्रतल से गुजरती है, उस समय शनि के वलय ठीक से दिखायी नही देते है। 1659 मे क्रिस्टीयन हायजेन्स ने शनि के वलय की ज्यामिति का सही अनुमान लगाया। 1977 तक शनि अपने वलयो के कारण सबसे अलग माना जाता था, लेकिन 1977 मे युरेनस के आसपास एक पतला वलय पाया गया। अब हम जानते है कि वलय गैस ग्रहो(बृहस्पति, शनि,युरेनस और नेपच्युन) का सामान्य गुण है।
पायोनियर 11ने 1979 मे पहली बार शनि की यात्रा की थी, उसके पश्चात वायेजर 1 , वायेजर 2 ने शनि की यात्रा की थी। कासीनी अभियान जुलाई 2004 मे शनि के पास पहुंचा था और चार वर्ष शनि की कक्षा मे रहा है।
शनि अपने विषुवतवृत्त पर चपटा है, उसके विषुवत वृत्त के व्यास और ध्रुविय व्यास मे 10%(120,536 किमी तथा 108,728 किमी) का अंतर है। यह शनि के तेज घुर्णन तथा द्रव अवस्था के कारण है। बाकि गैस ग्रह भी विषुवत वृत्त पर चपटे है लेकिन शनि की तुलना मे कम है।
शनि का घनत्व अन्य ग्रहो से कम है, यह पानी के घनत्व का 0.7 भाग है। शनि का घनत्व पृथ्वी के घनत्व का 1/8 भाग है जबकि शनि का व्यास पृथ्वी से 9 गुणा है।
बृहस्पति की तरह शनि 75% हायड्रोजन और 25% हिलीयम से बना है जिसमे जल, मिथेन, अमोनिया और चट्टानो के कुछ अंश है। यह प्राथमिक सौर निहारिका जिससे सौर मंडल का जन्म हुआ के समान है।
शनि का आंतरिक भाग भी बृहस्पति के जैसा है जिसमे चट्टानी केन्द्रक और उसके आसपास द्रव धात्त्विक हायड़ोजन की परत उसके बाहर आण्विक हायड्रोजन की परत है। विभिन्न तरह की बर्फ (पानी, कार्बन डाय आक्साईड, मिथेन इत्यादि) के कुछ अंश भी पाये गये है।
शनि के केन्द्र का तापमान 12000 केल्वीन है और शनि सूर्य से जितनी उर्जा ग्रहण करता है उससे ज्यादा उत्सर्जित करता है। यह उर्जा शनि के गुरुत्विय संपिड़न से उत्पन्न होती है। लेकिन यह शनि की चमक को समझने के लिये काफी नही है, शायद शनि मे कोई और प्रक्रिया भी चल रही है जो कि शनि के आंतरिक भाग से बाहर की ओर हिलीयम के प्रवाह से भी हो सकती है।
बृहस्पति की तुलना मे वायू के प्रवाह से बने पट्टे शनि पर धुंधले है और वे विषुवत पर ज्यादा चौड़े है। शनि के बादलो के उपर की विस्तृत जानकारी वायेजर से पहले अज्ञात थी। शनि पर भी बृहस्पति के जैसे धब्बे है जो कि विशालकाय चक्रवात है। 1990 मे हब्बल दूरबीन द्वारा विषुवत पर एक चक्रवात देखा गया जो कि वायेजर अभियान के समय नही था। 1994 मे हब्बल ने एक नया छोटा चक्रवात भी देखा।
शनि और सूर्य के मध्य औसत दूरी 1400,000,000किमी (9 AU) है। 9.69 किमी/सेकंड की औसत गति से शनि सूर्य की परिक्रमा करने के लिये पृथ्वी के 29.5 वर्ष(पृथ्वी के 10759दिन) लेता है। शनि की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से 2.48 डिग्री झुकी हुयी है। शनि की कक्षा दिर्घवृत्ताकार है और 0.056 इसेन्ट्रीसीटी होने से उसकी सूर्य से दूरी मे 155,000,000किमी का अंतर आता है।
शनि के वलय
शनि के वलयो मे से दो मुख्य वलय ‘ए’ तथा ‘बी’ , एक धुंधला वलय ‘सी’ पृथ्वी से देखे जा सकते है। वलय ‘ए’ तथा वलय ‘बी’ के मध्य के रिक्त स्थान को कासीनी डीवीजन कहा जाता है। ए वलय के बाहर एक छोटा और धुंधला रिक्त स्थान को एन्के डीवीजन कहा जाता है। वायेजर अभियान ने शनि के और भी धूंधले वलयो की खोज की थी। अन्य ग्रहो की तुलना मे शनि के वलय चमकिले है(अलबीडो 0.2-0.6)।
शनि के वलय पृथ्वी से ठोस दिखायी देते है लेकिन ये वलय छोटे छोटे कणो से बने है जो अपनी अपनी स्वतंत्र कक्षा मे है। इन कणो का आकार कुछ सेमी से लेकर कुछ मीटर तक है। कुछ किलोमीटर चौड़े पिंड भी संभव है।
शनि के वलयो का व्यास 250,000किमी और ज्यादा है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वे पतले है। उनकी मोटाई १ किमी से भी कम है। शनि के वलयो मे उसकी विशालता की तुलना मे पदार्थ काफी कम है। शनि के वलयो के प्रभावशाली उपस्थिति के बावजूद यदि शनि के वलयो के पदार्थ को किसी एक पिंड के रूप मे संपिडित किया जाये तो उसका आकार 100 किमी से ज्यादा नही होगा।
वलय के कण जल बर्फ के बने है लेकिन इसमे चट्टानो के बर्फ आवरण वाले टूकड़े भी है।
वायेजर यानो ने इन वलयो के मध्य स्पोक जैसे आकृतिया भी देखी है। स्पोक जैसी ये आकृतिया एक रहस्य है लेकिन इसका कारण शनि का चुंबकिय क्षेत्र हो सकता है।
शनि का बाह्य एफ वलय एक जटिल संरचना है जिसमे बहुत सारे छोटे वलय है साथ मे इन छोटे वलयो को बांधने वाली गांठे भी है। वैज्ञानिको के अनुसार ये गांठे वलय पदार्थ का ढेर या छोटे चन्द्रमा हो सकते है।
शनि के चन्द्रमाओ और वलयो मे एक जटिल ज्वारिय बंध है। कुछ गड़रिये चन्द्रमा (एटलस, प्रामेथीयस और पेंडोरा) इन वलयो को अपने स्थान पर बनाये रखते है। मीमास कासीनी डीवीजन को पदार्थ से मुक्त रखता है(यह क्षुद्रग्रहो के पट्टे मे कीर्कवुड गैप के जैसे है)। पान चन्द्रमा एन्के डीवीजन के मध्य है जबकि S/2005 S1 कीलर गैप के मध्य है। यह सम्पूर्ण वलय प्रणाली काफी जटिल है और हम इसे पूरी तरह से समझ नही पाये है।
शनि के वलय (अन्य ग्रहो के भी) के बनने के कारण अज्ञात है। वलय प्रणाली अस्थायी होती है, इन्हे बनाये रखने के लिये कोई प्रक्रिया चाहीये। यह शायद बड़े चन्द्रमाओ के टूटने से होता है। शनि के वर्तमान वलय केवल कुछ हजार लाख वर्ष पूराने ही है।
शनि का भी मजबूत चुंबकिय क्षेत्र है।
रात्री आकाश मे शनि को खुली आंखो से देखा जा सकता है। यह बृहस्पति के जैसा चमकदार तो नही लेकिन इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके वलय और बड़े चन्द्रमा छोटी दूरबीन से देखे जा सकते है।
शनि के चन्द्रमा
2010 तक शनि के 62 ज्ञात चन्द्रमा है।
इसके चंद्रमा तीन युग्मो मे मीमास-टेथीस, एनलेडस-डीयोने और टाईटन-हायपेरीओन गुरुत्वाकर्षण से बंधे है जिससे वे अपनी कक्षाओ मे एक स्थायी रिश्ता रखते है। मीमास का परिक्रमा काल टेथीस से आधा है, दूसरे शब्दो मे वे 1:2 के अनुनाद मे है, एनलेडस-डीयोने 1:2 के अनुनाद मे और टाईटन-हायपेरीओन 3:4 के अनुनाद मे है।
शनि के मुख्य चन्द्रमा
चन्द्रमा | शनि से दूरी (000 किमी) | व्यास(किमी) | द्रव्यमान(किग्रा) | आविष्कारक | दिनांक |
पैन Pan | 134 | 10 | ? | शोवाल्टर Showalter | 1990 |
एटलस Atlas | 138 | 14 | ? | टेर्रीले Terrile | 1980 |
प्रामेथीउस Prometheus | 139 | 46 | 2.70e17 | कालींस Collins | 1980 |
पैन्डोरा Pandora | 142 | 46 | 2.20e17 | कालीन्स Collins | 1980 |
एपीमेथीउस Epimetheus | 151 | 57 | 5.60e17 | वाकर Walker | 1980 |
जानुस Janus | 151 | 89 | 2.01e18 | डाल्फ़स Dollfus | 1966 |
मीमास Mimas | 186 | 196 | 3.80e19 | हर्शेल Herschel | 1789 |
एन्क्लेडस Enceladus | 238 | 260 | 8.40e19 | हर्शेल Herschel | 1789 |
टेथीस Tethys | 295 | 530 | 7.55e20 | कासीनी Cassini | 1684 |
टेलीस्टो Telesto | 295 | 15 | ? | रेट्सेमा Reitsema | 1980 |
केलीप्सो Calypso | 295 | 13 | ? | पास्कु Pascu | 1980 |
डीओने Dione | 377 | 560 | 1.05e21 | कासीनी Cassini | 1684 |
हेलेने Helene | 377 | 16 | ? | लाक्स Laques | 1980 |
रीआ Rhea | 527 | 765 | 2.49e21 | कासीनी Cassini | 1672 |
टाईटन Titan | 1222 | 2575 | 1.35e23 | हायजेन्स Huygens | 1655 |
हायपेरीओन Hyperion | 1481 | 143 | 1.77e19 | बांड Bond | 1848 |
आयपेटस Iapetus | 3561 | 730 | 1.88e21 | कासीनी Cassini | 1671 |
फोबे Phoebe | 12952 | 110 | 4.00e18 | पिकरिंग Pickering | 1898 |
शनि के वलय
नाम | त्रिज्या (आंतरिक) | त्रिज्या (बाह्य) | चौड़ाई | स्थिति | द्रव्यमान(किग्रा) |
डी वलय D-Ring | 67,000 | 74,500 | 7,500 | वलय | |
गुरिन डीवीजन GuerinDivision | विभाजक | ||||
सी वलय C-Ring | 74,500 | 92,000 | 17,500 | वलय | 1.1e18 |
मैक्सवेल डीवीजन MaxwellDivision | 87,500 | 88,000 | 500 | (विभाजक) | |
बी वलय B-Ring | 92,000 | 117,500 | 25,500 | (वलय) | 2.8e19 |
कासीनी डीवीजन CassiniDivision | 115,800 | 120,600 | 4,800 | (विभाजक) | |
हायजेन्स गैप HuygensGap | 117,680 | (n/a) | 285-440 | (विभाजक) | |
ए वलय A-Ring | 122,200 | 136,800 | 14,600 | (वलय) | 6.2e18 |
एन्के मीनीमा EnckeMinima | 126,430 | 129,940 | 3,500 | 29%-53% | |
एन्के डीवीजम EnckeDivision | 133,410 | 133,740 | विभाजक | ||
कीलर गैप KeelerGap | 136,510 | 136,550 | विभाजक | ||
एफ वलय F-Ring | 140,210 | 30-500 | (वलय) | ||
जी वलय G-Ring | 165,800 | 173,800 | 8,000 | (वलय) | 1e7? |
ई वलय E-Ring | 180,000 | 480,000 | 300,000 | (वलय) |