सूरज के बौने बेटे : क्षुद्रग्रह

२५३ मैथील्डे('C' वर्ग का क्षुद्रग्रह)

२५३ मैथील्डे('C' वर्ग का क्षुद्रग्रह)

क्षुद्र ग्रह पथरीले और धातुओ के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इतने लघु है कि इन्हे ग्रह नही कहा जा सकता। इन्हे लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते है। इनका आकार १००० किमी व्यास के सेरस से १ से २ इंच के पत्थर के टुकडो तक है। क्षुद्रग्रहो का व्यास २४० किमी या उससे ज्यादा है। ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के अंदर से शनि की कक्षा से बाहर तक है। लेकिन अधिकतर क्षुद्रग्रह मंगल और गुरु के बिच मे एक पट्टे मे है। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल मे पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण महाराष्ट्र मे लोणार झील है।

क्षुद्र ग्रह का पट्टा(Asteroid Belt)

मुख्य क्षुद्रग्रह पटटा(सफेद), ट्राजन क्षुद्रग्रह (हरा)

मुख्य क्षुद्रग्रह पटटा(सफेद), ट्राजन क्षुद्रग्रह (हरा)

क्षुद्र ग्रह ये सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बिच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टूकडो टूकडो मे बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरू के बिच का अंतराल सामान्य से ज्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान मे बढ्ते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम मे है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य मे गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बडा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचिन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह १५०० किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चन्द्रमा के आधे से भी कम है।

क्षुद्रग्रहो के बारे मे हमारी जानकारी उल्कापात मे बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण मे आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हे उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण मे ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है।

इन उल्काओ का ९२% भाग सीलीकेट का और ५ % भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरो जैसे ही होते है।

२४३ ईडा और उसका चंद्रमा डीकटील

२४३ ईडा और उसका चंद्रमा डीकटील

क्षुद्र ग्रह सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये विज्ञानी इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बिच मे काफी सारी खाली जगह है। अक्टूबर १९९१ मे गलेलियो यान क्षुद्रग्रह क्रंमांक ९५१ गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त १९९३ मे गैलीलियो ने क्षुद्रग्रह क्रमांक २४३ इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है।

अब तक हजारो क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। २पालास४ वेस्ता और १० हाय्जीया ये ४०० किमीऔर ५२५ किमीके व्यास के बिच है। बाकि सभी क्षुद्रग्रह ३४० किमी व्यास से कम के है।

धूमकेतू, चन्द्रमा और क्षुद्रग्रहो के वर्गीकरण मे विवाद है। कुछ ग्रहो के चन्द्रमाओ को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस , गुरू के बाहरी आठ चन्द्रमा ,शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह।

क्षुद्र ग्रहो का वर्गीकरण

  • ४३३ एरोस

    ४३३ एरोस

    १. C वर्ग :इस श्रेणी मे ७५% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है।(albedo ०.०३)। ये सूर्य के जैसे सरचना रखते है लेकिन हाय्ड्रोजन और हिलीयम नही होता है।

  • २. S वर्ग : १७%, कुछ चमकदार(albedo ०.१० से०.२२), ये धातुओ लोहा और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते है।
  • ३. M वर्ग :अधिकतर बचे हुये : चमकदार (albedo .१० से ०.१८) , निकेल और लोहे से बने।

इनका वर्गीकरण इनकी सौरमण्डल मे जगह के आधार पर भी किया गया है।

  • १. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से २-४ AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास,फोकीआ,कोरोनीस, एओस,थेमीस,सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है।
  • २. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)
  • ३.ऎटेन्स :सूर्य से १.० AU से कम दूरी पर और ०.९८३ AU से ज्यादा दूरी पर।
  • ४. अपोलोस :सूर्य से १.० AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.०१७ AU से कम दूरी पर।
  • ५.अमार्स : सूर्य से १.०१७ AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.३ AU से कम दूरी पर।
  • ६.ट्राजन : गुरु के गुरुत्व के पास।
९५१ गैस्परा

९५१ गैस्परा

सौर मण्डल के बाहरी हिस्सो मे भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हे सेन्टारस कहते है। इनमे से एक २०६० शीरान है जो शनि और युरेनस के बिच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह ५३३५ डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से युरेनस तक है। ५१४५ फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते है। ये या तो ग्रहो से टकरा जाते है या उनके गुरुत्व मे फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते है।

क्षुद्रग्रहो को आंखो से नही देखा जा सकता लेकिन इन्हे बायनाकुलर या छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है।

कुछ मुख्य क्षुद्रग्रह

क्रमांक. नाम दूरी त्रिज्या द्रव्यमान आविष्कारक दिनांक
2062 एटेन Aten 144514 0.5 ? हेलीन Helin 1976
3554 आमुन Amun 145710 ? ? शुमेकर Shoemaker 1986
1566 आईकेरस Icarus 161269 0.7 ? बाडे Baade 1949
433 एरास Eros 172800 33x13x13 विट Witt 1898
1862 अपोलो Apollo 220061 0.7 ? रेनमुथ Reinmuth 1932
2212 हेफैस्टोस Hephaistos 323884 4.4 ? शेर्न्यख Chernykh 1978
951 गैस्परा Gaspra 330000 8 ? नेउजमीन Neujmin 1916
4 वेस्टा Vesta 353400 265 3.0e20 ओल्बरस Olbers 1807
3 जुनो Juno 399400 123 ? हार्डींग Harding 1804
15 युनोमिया Eunomia 395500 136 8.3e18 डेगासपरीस DeGasparis 1851
1 सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह) 413900 487 8.7e20 पीआज्जी Piazzi 1801
2 पलास Pallas 414500 261 3.18e20 ओल्बर्स Olbers 1802
243 इडा Ida 428000 35 ? ? 1880?
52 युरोपा Europa 463300 156 ? गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt 1858
10 हायगीआ Hygiea 470300 215 9.3e19 डेगासपरीस DeGasparis 1849
511 डेवीडा Davida 475400 168 ? डुगन Dugan 1903
911 अग्मेम्नानAgamemnon 778100 88 ? रेनमठ Reinmuth 1919
2060 शीरान Chiron 2051900 85 ? कोवल Kowal 1977

3 Responses to “सूरज के बौने बेटे : क्षुद्रग्रह”

  1. बेहतर पोस्ट, अच्छी प्रस्तुति. बधाई!

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