युद्ध का देवता : मंगल

मंगल ग्रह

मंगल ग्रह

मंगल ग्रह सूर्य से चौथा और सातवां बड़ा ग्रह  है:

कक्षा :1.52: 227,940,000 किमी ( ए.यू. सूर्य से)
व्यास : 6794 किमी
द्रव्यमान : 6.4219e23 किलो

मंगल ग्रह (यूनानी: Ares ) युद्ध के भगवान है। शायद इस ग्रह को यह नाम अपने लाल रंग की वजह से नाम मिला है।मंगल ग्रह कभी कभी लाल ग्रह के रूप में जाना जाता है. (एक दिलचस्प तथ्य पर ध्यान दें: रोमन देवता मार्स कृषि देवता का देवता था। मार्च का महिना मंगल से जुड़ा है।)

मंगल को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता रहा है। मंगल का निरिक्षण पृथ्वी की अनेको वेधशालाओ से होता रहा है लेकिन बड़ी बड़ी दूरबीन भी मंगल को एक कठीन लक्ष्य मानती है, यह ग्रह बहुत छोटा है। यह ग्रह विज्ञान फतांसी के लेखको का पृथ्वी से बाहर जीवन के लिये चहेता ग्रह है। लेकिन लावेल द्वारा देखी गयी प्रसिद्ध नहरे और मंगल पर जीवन परिकथाओ जैसा कल्पना मे ही रहा है।

मंगल और पृथ्वी (आकार के अनुपात मे)

मंगल और पृथ्वी (आकार के अनुपात मे)

मंगल पर 1965 मे मैरीनर -4 यान भेजा गया था। उसके बाद इस ग्रह पर मार्स 2 जो मंगल पर उतरा भी था,के अलावा बहुत सारे यान भेजे गये है। 1976 मे दो वाइकिंग यान भी मंगल पर उतरे थे। इसके 20 वर्ष पश्चात 4 जुलाई 1997 को मार्श पाथफाईंडर मंगल पर उतरा था। 2004 मे मार्स एक्स्पेडीसन रोवर प्रोजेक्ट के दो वाहन स्प्रिट तथा ओपरच्युनिटी मंगल पर भौगोलिक आंकड़े और तस्वीरे भेजने उतरे थे। 2008 मे फिनिक्स यान मंगल के उत्तरी पठारो मे पानी की खोज के लिये उतरा था। मंगल की कक्षा मे मार्स रीकानैसेन्स ओर्बीटर मार्स ओडीसी तथा मार्स एक्सप्रेस यान है।

मंगल की कक्षा दिर्घवृत्त मे है जिसके कारण इसके तापमान मे सूर्य से दूरस्थ बिन्दू और निकटस्थ बिन्दू के मध्य 30 डिग्री सेल्सीयस का अंतर आता है। इससे मंगल के मौसम पर असर होता है। मंगल पर औसत तापमान 218 डिग्री केल्वीन(-55 डिग्री सेल्सीयस) है। मंगल की सतह का तापमान 133 डिग्री सेल्सीयस से 27 डिग्री सेल्सीयस तक बदलता है।

मंगल पृथ्वी से काफी छोटा है लेकिन मंगल पर उपलब्ध भूमि पृथ्वी पर उपलब्ध भूमी के बराबर है।
थारसीस उभार

थारसीस उभार

मंगल पर भूदृश्य काफी रोचक और विविधताओ से भरा है। कुछ मुख्य है

  1. ओलिंप मोन्स : सौर मंडल में सबसे बड़ा पर्वत है जो 78,000 फीट(24किमी) उंचा है,आधार पर व्यास में 500 किलोमीटर से अधिक है.
  2. थारसीस: 10 किमी उचांई का और 4000 किमी चौड़ा और एक विशाल उभार है।
  3. वैलेस मारीनेरीस घाटी: 4000 किमी लंबाई और 10 किमी गहरी घाटीयो की एक प्रणाली।
  4. हेलास प्लेन्टीया: दक्षिणी गोलार्द्ध मे 2000 किमी व्यास और 6 कीमी गहरा क्रेटर
मंगल की सतह काफी पूरानी है और क्रेटरो से भरी हुयी है, लेकिन वहां पर कुछ नयी घाटीया, पहाड़ीयां और पठार भी है। यह सब जानकारीयां मगंल भेजे गये यानो ने दी है। पृथ्वी की दूरबीने (हब्बल सहित) यह सब देख नही पाते है।

मंगल का दक्षिणी गोलार्ध चन्द्रमा के जैसे क्रेटरो से भरा हुआ उठा हुआ और प्राचीन है। इसके विपरित उत्तरी गोलार्ध नये पठारो बना निचला है। इन दोनो की सीमा पर उंचाई मे एक आकस्मिक उंचाई मे बदलाव दिखायी देता है। इस आकस्मिक उंचाई मे बदलाव के कारण अज्ञात है। मार्श ग्लोबल सर्वेयर यान ने जो ३ आयामी मंगल का नक्शा बनाय है इन सभी रचनाओ को दिखाता है।

मंगल की आंतरिक संरचना के बारे मे सतह के आंकड़ो द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार से ही अनुमान लगाया गया है। मंगल के केन्द्र मे 1700 किमी त्रिज्या का केन्द्रक है, उसके चारो पिघली चट्टानो का मैंटल है जो पृथ्वी से मैंटल से ज्यादा घना है, इनके बाहर एक पतला भूपटल है। मार्स ग्लोबल सर्वेयर के आंकड़ो से भूपटल की मोटाई दक्षिण गोलार्ध 80 किमी तथा उत्तर गोलार्ध मे 35किमी है। चट्टानी ग्रहो मे मंगल का कम घनत्व यह दर्शाता है कि इसके केन्द्रक मे सल्फर की मात्रा लोहे की मात्रा से ज्यादा है।
बुध और चन्द्रमा की तरह मंगल मे भी क्रियाशील प्लेट टेक्टानिक्स नही है क्योंकि मंगल मे मोड़दार पर्वत(पृथ्वी पर हिमालय) नही है। प्लेट की गतिविधी ना होने से सतह के निचे के गर्म स्थान अपनी जगह रहते है, तथा कम गुरुत्व के कारण थारी उभार जैसे उभारो तथा ज्वालामुखी की संभावना ज्यादा रहती है। हालिया ज्वालामुखीय गतिविधी के कोई प्रमाण नही मीले है। मार्स ग्लोबल सर्वेयर के अनुमानो से मंगल मे किसी समय टेक्टानिक गतिविधी रही होंगी।
मंगल की सतह (पाथ फाईण्डर द्वारा ली गयी तस्वीर)

मंगल की सतह (पाथ फाईण्डर द्वारा ली गयी तस्वीर)

मंगल की सतह पर क्षरण के साफ प्रमाण मीले है जिसमे बाढ़ द्वारा क्षरण या छोटी नदीयो द्वारा क्षरण का समावेश है। किसी समय मंगल पर कोई द्रव पदार्थ जरूर रहा होगा। द्रव जल की संभावना ज्यादा है लेकिन अन्य संभावना भी है। यानो द्वारा भेजे गये आंकड़े बताते है कि मंगल पर बड़ी झीले या सागर भी रहे होंगे। ये आंकड़े क्षरण की इन नहरो की उम्र 5 अरब वर्ष बताते है। मार्स एक्स्प्रेस द्वारा भेजी गयी एक तस्वीर मे जमा हुआ समुद्र दिखायी देता है हो 50 लाख वर्ष पहले द्रव रहा होगा। वैलेस मारीनेरीस घाटी द्रव के बहने से नही बनी है। यह थारसीस उभार द्वारा भूपटल मे आयी दरारो से बनी है।

इतिहास मे मंगल पृथ्वी जैसा रहा होगा। पृथ्वी पर सारी कार्बन डाय आक्साईड कार्बोनेट चट्टान मे उपयोग मे आ गयी थी, लेकिन मंगल पर प्लेट टेक्टानिक्स नही होने से मंगल पर कार्बन डाय आक्साईड के उपयोग और उत्सर्जन का चक्र पूरा नही हो पाता है। इन कारणो से मंगल पर तापमान बढाने लायक ग्रीन हाउस प्रभाव नही बन पाता है(यह तापमान को 5 डीग्री केल्विन तक ही बढा़ पाता है जो पृथ्वी और शुक्र की तुलना मे काफी कम है)। इस कारण मंगल की सतह पृथ्वी की तुलना मे ठंडी है।

मंगल का वातावरण पतला है। वातावरण मे 95.3% कारबन डाय आक्साईड, 2.7% नायट्रोजन, 1.6% आरगन ,0.15 % आक्सीजन और 0.03% जल बाष्प है। औसत वायुमंडलीय दबाव 7 मीलीबार है, जो पृथ्वी के 1% के बराबर है लेकिन यह गहराईयो मे 9 मीलीबार से ओलम्पस मान्स पर 1 मीलीबार तक रहता है। लेकिन यह वातावरण तेज हवाओ और महिनो तक चलने वाले धूल के अंधड़ पैदा करने मे सक्षम है।

ध्रुवो पर बर्फ की परत

ध्रुवो पर बर्फ की परत

मंगल के ध्रुवो पर बर्फ की परत है। यह बर्फ की परत पानी और कार्बन डाय आक्साईड की बर्फ है। उत्तरी गोलार्ध की गर्मीयो मे कारबन डायाअक्साईड की बर्फ पिघल जाती है और पानी की बर्फ की तह रह जाती है। मार्स एक्सप्रेस ने यह अब दक्षिणी गोलार्ध मे भी देखा है। अन्य स्थानो पर भी पानी की बर्फ के होने की आशा है।

वाइकिंग यानो ने मंगल पर जिवन की तलाश की थी लेकिन वैज्ञानिको का मानना है कि मंगल पर जिवन नही है। भविष्य मे कुछ प्रयोग और किये जायेंगे।

6 अगस्त 1996 को, डेविड मैके एट अल की घोषणा की है कि उल्का ALH84001 में के सूक्ष्मजीव मंगल ग्रह पर जिवन के सबूत हो सकते है।हालांकि अभी भी कुछ विवाद है, वैज्ञानिक समुदाय के बहुमत ने इस निष्कर्ष को स्वीकार नहीं किया। अगर मंगल ग्रह पर जीवन था, वह हम अभी यह नहीं मिला है।

मंगल पर कमजोर चुंबकिय क्षेत्र कुछ हिस्सो मे मौजूद है। यह खोज मार्श ग्लोबल सर्वेयर ने की थी। यह क्षेत्र किसी समय मंगल पर रहे बडे चुंबकिय क्षेत्र के अवशेष है।

मंगल को रात मे नंगी आंखो से देखा जा सकता है।

 

फोबोस और डीमोस

फोबोस और डीमोस

मंगल के उपग्रह

मंगल के 2 छोटे उपग्रह है।

उपग्रह दूरी (000 किमी) द्रव्यमान(किलो) त्रिज्या (किमी) आविष्कारक दिनांक
फोबोस 9 1.08e16 11 हॉल 1877
डेमोस 23 1.80e15 6 हॉल 1877
(मंगल ग्रह के केंद्र से दूरी मापी गयी है।)

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