Posts tagged ‘उपग्रह’

फ़रवरी 14, 2011

शेरान

शेरान प्लुटो का सबसे बड़ा चन्द्रमा है।
कक्षा : 19,640 किमी प्लुटो से
व्यास : 1206 किमी
द्रव्यमान : 1.52e21 किग्रा
शेरान पाताल मे मृत आत्मा को अचेरान नदी पार कराने वाले नाविक का नाम है।

शेरान

शेरान

शेरान को जीम क्रिस्टी ने 1978 मे खोजा था। पहले यह माना जाता था कि प्लुटो शेरान से काफी बड़ा है क्योंकि प्लुटो और शेरान के चित्र धुंधले थे।

शेरान असामान्य चन्द्रमा है क्योंकि सौर मंडल मे अपने ग्रह की तुलना मे सबसे बड़ा चंद्रमा है। इसके पहले यह श्रेय पृथ्वी और चंद्रमा का था। कुछ वैज्ञानिक प्लुटो/शेरान को ग्रह और चंद्रमा की बजाय युग्म ग्रह मानते है।

शेरान का व्यास अनुमानित है और इसमे 2% की गलती की संभावना है। इसका द्रव्यमान और घनत्व भी ठीक तरह से ज्ञात नही है।

प्लुटो और शेरान एक दूसरे की परिक्रमा समकाल मे करते है अर्थात दोनो एक दूसरे के सम्मुख एक ही पक्ष रखते है। यह सौर मंडल मे अनोखा है।

शेरान की संरचना अज्ञात है लेकिन कम घनत्व( 2 ग्राम/ घन सेमी) दर्शाता है कि यह शनि के बर्फिले चन्द्रमाओ के जैसे है। इसकी सतह पानी की बर्फ से ढंकी है। आश्चर्यजनक रूप से यह प्लुटो से भिन्न है।

यह माना जाता है कि यह प्लुटो की किसी पिंड से टक्कर से बना होगा।

शेरान पर वातावरण होने मे शंका है।

फ़रवरी 9, 2011

नेरेईड

नेरेइड

नेरेइड

यह नेपच्युन का तीसरा सबसे बड़ा चन्द्रमा  है।

कक्षा : 5,513,400 किमी नेपच्युन से
व्यास : 340 किमी
द्रव्यमान : ?

नेरेइड सागरी जलपरी है, और नेरेउस और डोरीस की 50 पुत्रीयो मे से एक है।

इसकी खोज काईपर ने 1949 मे की था।

नेरेइड की कक्षा सौर मंडल के किसी भी ग्रह या चन्द्रमा से ज्यादा विकेन्द्रित है। इसकी नेपच्युन से दूरी 1,353,600 किमी से 9,623,700 किमी तक विचलित होती है। इसकी विचित्र कक्षा से लगता है कि यह एक क्षुद्रग्रह है या काईपर पट्टे का पिंड है।

फ़रवरी 9, 2011

ट्राईटन

ट्राईटन

ट्राईटन

यह नेपच्युन का सांतवा ज्ञात और सबसे बड़ा चन्द्रमा  है।

कक्षा : 354,760 किमी नेपच्युन से
व्यास : 2700 किमी
द्रव्यमान : 2.14e22 किग्रा

इसकी खोज लासेल ने 1846मे नेपच्युन की खोज के कुछ सप्ताहो मे की थी।

ग्रीक मिथको मे ट्राईटन सागर का देवता है जो नेपच्युन का पुत्र है; इसे मानव के धड़ और चेहरे लेकिन मछली के पुंछ वाले देवता के रूप मे दर्शाया जाता है।

ट्राईटन के बारे मे हमारी जानकारी वायेजर 2 द्वारा 25अगस्त 1989 की यात्रा मे प्राप्त जानकारी तक सीमीत है।

ट्राईटन विपरित दिशा मे नेपच्युन की परिक्रमा करता है। बड़े चंद्रमाओ मे यह अकेला है जो विपरित दिशा मे परिक्रमा करता है। अन्य विपरित दिशा मे परिक्रमा करने वाले बृहस्पति के चन्द्रमा एनान्के, कार्मे, पासीफे तथा सीनोपे और शनि का चन्द्रमा फोबे ट्राईटन के व्यास के 1/10 भाग से भी छोटे है। अपनी इस विचित्र परिक्र्मा के कारण प्रतित होता है कि ट्राईटन शायद सौर मंडल की मातृ सौर निहारिका से नही बना है। यह कहीं और (काईपर पट्टे) मे बना होगा और बाद मे नेपच्युन के गुरुत्व की चपेट मे आ गया होगा। इस प्रक्रिया मे वह नेपच्युन के किसी चन्द्रमा से टकराया होगा। यह प्रक्रिया नेरेईड की आसामान्य कक्षा के पिछे एक कारण हो सकती है।

अपनी विपरित कक्षा के कारण नेपच्युन और ट्राइटन के मध्य ज्वारिय बंध ट्राईटन की गतिज उर्जा कम कर रहा है जिससे इसकी कक्षा छोटी होते जा रही है। भविष्य मे ट्राईटन टूकड़ो मे बंटकर वलय मे बदल जायेगा या नेपच्युन से टकरा जायेगा। इस समय यह एक कल्पना मात्र है।

ट्राईटन का घुर्णन अक्ष भी विचित्र है। वह नेपच्युन के अक्ष के संदर्भ मे 157 डिग्री झुका हुआ है जबकि नेपच्युन का अक्ष 30 डिग्री झुका हुआ है। कुल मिला कर ट्राईटन का घुर्णन अक्ष युरेनस के जैसे है जिसमे इसके ध्रुव और विषुवत के क्षेत्र एक के बाद एक सूर्य की ओर होते है। इस कारण से इसपर विषम मौसमी स्थिती उत्पन्न होती है। वायेजर 2 की यात्रा के समय इसका दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर था।

ट्राईटन का घनत्व (2.0) शनि के बर्फिले चन्द्रमाओ जैसे रीआ से ज्यादा है। ट्राईटन मे शायद 25% पानी की बर्फ और शेष चट्टानी पदार्थ है।

वायेजर ने ट्राईटन पर वातावरण पाया था जो कि पतला( 0.01 मीलीबार) है और मुख्यतः नाईट्रोजन तथा कुछ मात्रा मे मिथेन से बना है। एक पतला कोहरा 5 से 10किमी उंचाई तक छाया रहता है।

ट्राईटन की सतह पर तापमान 34.5 डीग्री केल्विन (-235 डीग्री सेल्सीयस) रहता है जो कि प्लूटो के जैसे है। इसकी चमक ज्यादा है(0.7-0.8) जिससे सूर्य की अत्यल्प रोशनी की भी छोटी मात्रा अवशोषित होती है। इस तापमान पर मिथेन, नाईट्रोजन और कार्बन डाय आक्साईड जमकर ठोस बन जाती है।इस पर कुछ ही क्रेटर दिखायी देते है;इसकी सतह नयी है। इसके दक्षिणी गोलार्ध मे नायट्रोजन और मिथेन की बर्फ जमी रहती है।ट्राईटन की सतह पर जटिल पैटर्न मे पर्वत श्रेणी और घाटीयां है जो कि शायद पिघलने/जमने के प्रक्रिया के कारण है।

ट्राईटन की सतह पर इसके ज्वालामुखी द्वारा उत्सर्जित नायट्रोजन के प्रवाह से बनी धारियां

ट्राईटन की सतह पर इसके ज्वालामुखी द्वारा उत्सर्जित नायट्रोजन के प्रवाह से बनी धारियां

ट्राईटन की दूनिया मे सबसे विचित्र इसके बर्फिले ज्वालामुखी है। इनसे निकलनेवाला पदार्थ द्रव नाईट्रोजन, धूल और मिथेन के यौगिक है। वायेजर के एक चित्र मे एक ज्वालामुखी(हिममुखी) सतह से 8 किमी उंचा और 140 किमी चौड़ा है।

ट्राईटन, आयो, शुक्र और पृथ्वी सौर मंडल मे सक्रिय ज्वालामुखी वाले पिंड है। मंगल पर भूतकाल मे ज्वालामुखी थे। यह भी एक विचित्र तथ्य है कि पृथ्वी और शुक्र (मंगल भी )के ज्वालामुखी चट्टानी पदार्थ उत्सर्जित करते है और अंदरूनी गर्मी द्वारा चालित है, जबकि आयो के ज्वालामुखी गंधक या गंधक के यौगिक उत्सर्जित करते है और बृहस्पति के ज्वारिय बंध द्वारा चालित है, वहीं ट्राईटन के ज्वालामुखी नाईट्रोजन या मिथेन उत्सर्जित करते है तथा सूर्य द्वारा प्रदान मौसमी उष्णता से चालित है।

फ़रवरी 9, 2011

प्राटेउस

प्राटेउस

प्राटेउस

यह नेपच्युन का छठां ज्ञात और दूसरा सबसे बड़ा चन्द्रमा  है।

कक्षा : 117,600 किमी नेपच्युन से
व्यास : 418 किमी(436x416x402)
द्रव्यमान : ?

प्राटेउस एक सागरी देवता था जो अपना आकार बदल सकता था।

इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी। यह नेरेइड से बड़ा है लेकिन बहुत गहरे रंग का है। यह नेपच्युन के इतने समीप है कि इसे नेपच्युन की चमक मे देखा जाना कठिन है।

प्राटेउस अनियमित आकार का चन्द्रमा है। यह शायद अनियमित आकार के पिंड के लिये गुरुत्व के कारण गोलाकार होने की सीमा से थोड़ा ही छोटा है।

इसकी सतह पर क्रेटरो की भरमार है और भूगर्भिय गतिविधी के कोई प्रमाण नही है।

फ़रवरी 9, 2011

लारीस्सा

लारीस्सा

लारीस्सा

यह नेपच्युन का पांचवा ज्ञात चन्द्रमा है।
कक्षा : 73,600 किमी नेपच्युन से
व्यास : 193 किमी(208 x 178)
द्रव्यमान : ?

लारीस्सा पेलासगस की पुत्री का नाम है।

इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी। इसकी खोज का श्रेय हेराल्ड रेइट्सेमा को दिया जाता है।

प्राटेउस की तरह लारीस्सा भी अनियमित आकार का चन्द्रमा है।

फ़रवरी 9, 2011

नाइड,थैलसा,डेस्पीना,गैलटीआ

नेपच्युन के अंदरूनी चार चंद्रमा है:

  1.  नाइड
  2. थैलसा
  3. डेस्पीना
  4. गैलटीआ

नाइड

नाइड या थैलसा

नाइड या थैलसा

यह नेपच्युन का सबसे अंदरूनी ज्ञात चन्द्रमा है।

कक्षा : 48,200 किमी नेपच्युन से
व्यास : 58 किमी
द्रव्यमान : ?

इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी।

नाईड नदियो, फव्वारो और झरनो की परीयां है।
नाईड, थैलसा, डेस्पीना और गैलेटीआ सभी अनियमित आकार के चन्द्रमा है।

थैलसा

यह नेपच्युन का दूसरा ज्ञात चन्द्रमा है।

कक्षा : 50,000 किमी नेपच्युन से
व्यास : 80 किमी
द्रव्यमान : ?
थैलसा ऐथर और हेमेरा की पुत्री है। थैलसा ग्रीक मे सागर को कहते है। इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी।

डेस्पीना

डेस्पीना

डेस्पीना

यह नेपच्युन का तीसरा ज्ञात चन्द्रमा है।

कक्षा : 52,600 किमी नेपच्युन से
व्यास : 148 किमी
द्रव्यमान : ?
डेस्पीना नेपच्युन और डेमीटर की पुत्री का नाम है।
इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी।

गैलटीआ

गैलीटीआ

गैलीटीआ

यह नेपच्युन का तीसरा ज्ञात चन्द्रमा है।
कक्षा : 62,000किमी नेपच्युन से
व्यास : 158 किमी
द्रव्यमान : ?
गैलेटीआ एक सीसलीयन नेरीड थी जो सायक्लोप्स पालीफेमुस की प्रेमीका थी।

इसकी खोज 1989 मे वायेजर 2 ने की थी।

फ़रवरी 8, 2011

ओबेरान

ओबेरान

ओबेरान

ओबेरान यह युरेनस के बड़े चंद्रमाओ मे से सबसे बाहरी और दूसरा सबसे बड़ा चन्द्रमा है।

कक्षा : 583,420 किमी युरेनस से
व्यास : 1523 किमी
द्रव्यमान : 3.03e21 किग्रा

ओबेरान शेक्सपियर के नाटक ’मिडसमर नाईट्स ड्रीम’ मे परियो का राजा और टाईटेनीया का पति है।

ओबेरान की खोज 1787 मे हर्शेल ने की थी।

उम्ब्रीएल और ओबेरान एक जैसे है लेकिन ओबेरान 35% बड़ा है। युरेनस के सभी बड़े चन्द्रमा 40-50% बर्फ और शेष चट्टानो से बने है। इनमे चट्टानो की मात्रा शनि के बड़े चन्द्रमा जैसे रीया के किंचित ज्यादा है।

ओबेरान की सतह क्रेटरो से भरी हुयी है और स्थायी है। इसके क्रेटर एरीयल और टाईटेनीया से ज्यादा और बड़े है। इसके कुछ क्रेटरो मे कैलीस्टो की तरह धारीया है।

कुछ क्रेटरो की सतह धूंधली है शायद किसी गहरे पदार्थ (गंदा पानी?) के कारण।

ओबेरान के दक्षिणी गोलार्ध मे एक गहरी दरार है जो इसकी भूतकाल की भूगर्भिय गतिविधी को दर्शाती है। इस पर एक छः किमी उंचा पर्वत भी है।

इसे एक साधारण दूरबीन से गहरी रात मे देखा जा सकता है।

फ़रवरी 8, 2011

टाईटेनीया

टाईटेनीया

टाईटेनीया

टाईटेनीया यह युरेनस का चौदहंवा ज्ञात और सबसे बड़ा चन्द्रमा है।

कक्षा : 436,270 किमी युरेनस से
व्यास : 1578 किमी
द्रव्यमान : 3.49e21 किग्रा
टाईटेनीया शेक्सपियर  के नाटक मिड समर नाईट्स ड्रीम  मे परीयो की रानी तथा ओबेरान की पत्नी है।
टाईटेनीया की खोज 1787 मे हर्शेल ने की थी।

एरीयल और टाईटेनीया एक जैसे है लेकिन टाईटेनीया 35% बड़ा है। युरेनस के सभी बड़े चन्द्रमा 40-50% बर्फ और शेष चट्टानो से बने है। इनमे चट्टानो की मात्रा शनि के बड़े चन्द्रमा जैसे रीया के किंचित ज्यादा है।

टाईटेनीया की सतह मे क्रेटरो से भरे पठारो के अतिरिक्त एक दूसरे से जुड़ी सैकड़ो किमी लम्बी, 10 किमी से ज्यादा गहरी घाटीयां है। यह टाईटेनीया के जैसे लेकिन बड़ी और ज्यादा मात्रा मे है। इसके कुछ क्रेटर आधे भरे हुये है। टाईटेनीया की सतह नयी है लेकिन एन्क्लेडस से पूरानी है। इस चन्द्रमा पर नयी सतह के बनने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। उसकी घाटीयो के मध्य शायद बर्फ की उपस्थिति है।

टाईटेनीया शायद कुछ समय पूर्व गर्म रहा होगा लेकिन वर्तमान मे ठन्डा है। शायद टाईटेनीया की घाटीया इसके ठंडे होने की प्रक्रिया मे आयी दरारे है।

इसे एक साधारण दूरबीन से गहरी रात मे देखा जा सकता है।

फ़रवरी 8, 2011

उम्ब्रीएल

उम्ब्रीएल

उम्ब्रीएल

उम्ब्रीएल यह युरेनस का तेरहंवा ज्ञात और तीसरा सबसे बड़ा चन्द्रमा है।
कक्षा : 265,980 किमी युरेनस से

व्यास : 1170किमी

द्रव्यमान : 1.27e21 किग्रा

उम्ब्रीएल अलेक्जेण्डर पोप के नाटक ‘द रेप आफ द लाक’ मे एक पात्र है।
उम्ब्रीएल की खोज 1851मे लासेल ने की थी।

उम्ब्रीएल और ओबेरान एक जैसे है लेकिन ओबेरान 35% बड़ा है। युरेनस के सभी बड़े चन्द्रमा 40-50% बर्फ और शेष चट्टानो से बने है। इनमे चट्टानो की मात्रा शनि के बड़े चन्द्रमा जैसे रीया के किंचित ज्यादा है।

उम्ब्रीएल की सतह क्रेटरो से भरी हुयी है और स्थायी है। इसके क्रेटर एरीयल और टाईटेनीया से ज्यादा और बड़े है।

उम्ब्रीएल काफी गहरे रंग का है और युरेनस के सबसे चमकदार चन्द्रमा एरीयल से आधा चमकदार है।

फ़रवरी 8, 2011

एरीयल

एरीयल

एरीयल

एरीयल यह युरेनस का बारहंवा ज्ञात चन्द्रमा है।
कक्षा : १९०,९३० किमी युरेनस से

व्यास : ११५८ किमी

द्रव्यमान : १.२७e२१ किग्रा

एरीयल शेक्सपियर के नाटक ‘द टेम्पेस्ट ‘ मे एक आत्मा है।

एरीयल की खोज १८५१ मे लासेल ने की थी।

एरीयल और टाईटेनीया एक जैसे है लेकिन टाईटेनीया ३५% बड़ा है। युरेनस के सभी बड़े चन्द्रमा ४०-५०% बर्फ और शेष चट्टानो से बने है। इनमे चट्टानो की मात्रा शनि के बड़े चन्द्रमा जैसे रीया के किंचित ज्यादा है।

एरीयल की सतह मे क्रेटरो से भरे पठारो के अतिरिक्त एक दूसरे से जुड़ी सैकड़ो किमी लम्बी, १० किमी से ज्यादा गहरी घाटीयां है। यह टाईटेनीया के जैसे लेकिन बड़ी और ज्यादा मात्रा मे है। इसके कुछ क्रेटर आधे भरे हुये है। एरीयल की सतह नयी है लेकिन एन्क्लेडस से पूरानी है। इस चन्द्रमा पर नयी सतह के बनने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। उसकी घाटीयो के मध्य शायद बर्फ की उपस्थिति है।

एरीयल शायद कुछ समय पूर्व गर्म रहा होगा लेकिन वर्तमान मे ठन्डा है। शायद एरीयल की घाटीया इसके ठंडे होने की प्रक्रिया मे आयी दरारे है।

इसे एक साधारण दूरबीन से गहरी रात मे देखा जा सकता है।